पिछला साल
- Deeksha Saxena

- Aug 20
- 1 min read
बीता ये साल,
क्या बताऊँ कैसा था ये साल
कुछ क्षण सुकून के, फिर
जैसे कोई तेज तूफान
सब कुछ जहां गलत था
फिर भी हर अंत सही था
जो सोचा न था वो मुकाम भी मिला
जो मांगा न था वो दर्द भी सिला
कुछ ख्वाब हुए पूरे
तो कुछ कदमों ने बदले रस्ते
कुछ अपनों को खोया
और कुछ अपना भी खोया
जाते हुए बहुत कुछ सिखा गया
या फिर यू कहे कि
बहती कश्ती की दिशा बना गया
मुश्किल था, तो कभी आसान हुआ
सुकून था, तो कभी परेशान हुआ
बस ऐसा ही था ये साल
हस्ते रोते गुजर गया, पर
मझधार की जद्दोजहद के बीच
मुझे सब्र का एक नायाब तोहफा दे गया।



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