भ्रम
- Deeksha Saxena
- Aug 10
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एक किस्सा खत्म है,
या फिर ये बस एक भ्रम है,
भ्रम ही है शायद
क्यूंकि था तो ये एक तरफा ही,
ये भी भ्रम ही था कि
था ये दो तरफा भी,
दो तरफा होता तो
कहानी यूँ अधूरी ना होती,
अंत में एक राजा एक रानी होती,
अब अधूरी कहानी है
और बचा एक ही किरदार है,
तो पन्ना ही पलट देते हैं
अब बचा न कोई कदरदान है,
वैसे भी एक तरफा कहानी की
यहां न कोई कीमत है,
राधा मीरा की बात नहीं यहाँ
कलयुग में सबकी अलग किस्मत है,
तो चलो स्वीकार ये भी
और कर भी क्या सकते हैं,
दिल का एक कोना,
और उस कोने का ये अध्याय
चलो अब बस यहीं खत्म करते है।
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