top of page

अनकही

अरसे बाद आज चांद दिखा

तो सोचा कुछ गुफ्तगू कर लू,

कुछ अपनी कह दू

कुछ उसकी सुन लू,

और हुआ कुछ यूं की

चाय में उबाल आया

की कप में परोसी गई,

उसने अपनी कही

और मैं अपनी कह गईं,

मग्न दोनो अपनी कहने में

शब्द पिरोने में

और चाय पीने में,

इक झलक जो नजर टकरार्ई

तो सैलाब सा दिख गया,

और सैलाब के गहराई में दबी

वो इक बात दिख गई,

नज़रे झुकी फिर

चाय की चुस्की और

फिर बातें शुरू हुई

समय की ही थी ये हरकत

की बातें तो फिर बहुत हुई

बस बात न हुई।

Comments


  • Facebook
  • LinkedIn
  • Instagram

©2019 by Runjhun's Travel Diary. Proudly created with Wix.com

bottom of page