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अनसुनी वेदना

वो जो हँस कर सब सह जाती है

वो अकेले में रोई भी होगी ना,

वो आज चट्टान की तरह खड़ी है

वो कभी टूटी भी होगी ना ।


जिसे सबने मज़बूत कहा है

वो अन्दर से कमजोर भी होगी ना,

जो सबको मुस्कान बांटती है,

वो खुद दर्द में डूबी भी होगी ना ।


जिसे दुनिया ने समझा बेपरवाह,

वो खुद से ही लड़ती भी होगी ना,

जो हर बार खुद को संभाल लेती है,

वो कभी गिरती भी होगी ना ।


वो जो रोशनी सा बिखरी रहती है,

उसके दिल में अंधेरा भी होगा ना,

वो जो सबके लिया दुआ करती है,

कभी उसने अपने लिए भी दुआ मांगी होगी ना...

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