अनसुनी वेदना
- Bhumika saxena
- Nov 23
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वो जो हँस कर सब सह जाती है
वो अकेले में रोई भी होगी ना,
वो आज चट्टान की तरह खड़ी है
वो कभी टूटी भी होगी ना ।
जिसे सबने मज़बूत कहा है
वो अन्दर से कमजोर भी होगी ना,
जो सबको मुस्कान बांटती है,
वो खुद दर्द में डूबी भी होगी ना ।
जिसे दुनिया ने समझा बेपरवाह,
वो खुद से ही लड़ती भी होगी ना,
जो हर बार खुद को संभाल लेती है,
वो कभी गिरती भी होगी ना ।
वो जो रोशनी सा बिखरी रहती है,
उसके दिल में अंधेरा भी होगा ना,
वो जो सबके लिया दुआ करती है,
कभी उसने अपने लिए भी दुआ मांगी होगी ना...



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