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Life in 2020-2021

Updated: May 3, 2021


आज यूंही कलम उठाई

सोचा कुछ तो लिखते है,

मगर घर की चार दिवारी में

किस्से कहा कभी मिलते है,

आना जाना, मिलना जुलना सब बंद है

लोग भी अब तो बस

कमरे की खिड़की से ही दिखते है,

एक अरसा हो गया

दरवाजे पर कड़ी लगाए हुए,

ताला चाबी भी अब तो

कहीं कोने में पड़े मिलते है,

लेकिन चलो अच्छा है कुछ समय मिल गया

खुद को तलाशने का

बहुत से खोए हुए पल

अब आकर मुझसे बातें करते है,

भागती दौड़ती जिंदगी में न सही,

मगर अब आकर

वो मेरे साथ ठहरा करते है,

रसोई की खिड़की से

झांकता हुआ वो सूरज,

चांद तारे भी आजकल रात को

मेरी खिड़की पर रुकते है,

पौधों को पानी देते हुए,

या सुबह खिड़की पर

दाना चुगते हुए दिखते है,

सोचो तो चार दिवारी में भी

बहुत से किस्से लिखने को मिलते है।

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